पंचक क्या होता है और क्यों लगता है? जानिए जून 2025 में पंचक कब से कब तक रहेगा
हिंदू धर्म और ज्योतिष में समय का बहुत ही गहरा महत्व होता है। शुभ कार्य करने से लेकर किसी भी नये आरंभ तक—सब कुछ पंचांग देखकर ही किया जाता है। ऐसे में ‘पंचक’ एक ऐसा समय होता है, जिसे विशेष सावधानी के साथ देखा जाता है। इसे आम बोलचाल में अशुभ समय माना जाता है।
आइए समझते हैं कि पंचक होता क्या है, यह क्यों लगता है, कब-कब आता है, और जून 2025 में पंचक की तिथि क्या रहेगी?
🔷 पंचक क्या होता है?
पंचक हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष खगोलीय स्थिति होती है, जब चंद्रमा कुंभ (Aquarius) और मीन (Pisces) राशियों में रहता है। जब चंद्रमा इन दो राशियों में लगभग 5 दिन तक भ्रमण करता है, उस समय को ‘पंचक काल’ कहा जाता है।
‘पंचक’ शब्द का अर्थ होता है — पाँच। जब चंद्रमा आकाश में कुंभ और मीन राशियों में भ्रमण करता है, उस समय को पंचक कहते हैं। इस दौरान चंद्रमा पाँच नक्षत्रों से गुजरता है:
- धनिष्ठा
- शतभिषा
- पूर्वाभाद्रपद
- उत्तराभाद्रपद
- रेवती
यह पूरी प्रक्रिया लगभग 5 दिनों की होती है, इसलिए इसे ‘पंचक’ कहा जाता है।
🔷 पंचक क्यों लगता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशियों में आता है, तो इन राशियों में उसके प्रभाव को स्थिर नहीं माना जाता। इस समय मनुष्य का मन विचलित हो सकता है, और निर्णय शक्ति कमजोर हो जाती है। यही कारण है कि पंचक को विशेष सावधानी का समय माना गया है।
🔴 पंचक काल में क्या नहीं करना चाहिए?
पंचक के समय कुछ कार्यों को करना अशुभ या वर्जित माना गया है। विशेष रूप से निम्नलिखित कार्यों से बचना चाहिए:
1. शव दाह संस्कार:
पंचक काल में यदि किसी की मृत्यु होती है, तो उसके अंतिम संस्कार से पहले पंचक दोष निवारण पूजा कराना जरूरी होता है। अन्यथा मान्यता है कि परिवार में लगातार मृत्यु के योग बनते हैं।
2. लकड़ी संबंधी कार्य:
इस समय खाट, बिस्तर, लकड़ी का घर, तख्त आदि बनवाना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन वस्तुओं के बनने से जीवन में कष्ट आ सकता है।
3. यात्रा की शुरुआत:
पंचक काल में कोई बड़ी यात्रा (विशेष रूप से दक्षिण दिशा की यात्रा) नहीं करनी चाहिए। इसे संकटपूर्ण माना गया है।
4. शुभ कार्य:
विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे संस्कार इस समय नहीं करने चाहिए।
🔷 जून 2025 में पंचक कब से कब तक रहेगा?
जून 2025 में पंचक का आरंभ और समापन निम्नलिखित है:
🔹 शुरुआत: सोमवार, 16 जून 2025 को दोपहर 11:38 बजे
🔹 समाप्ति: शुक्रवार, 20 जून 2025 को रात 06:54पीएम बजे
इस अवधि में उपरोक्त कार्यों से बचना श्रेष्ठ रहेगा। अगर कोई कार्य अत्यंत आवश्यक हो, तो किसी योग्य पंडित या आचार्य से परामर्श लेकर ‘पंचक दोष निवारण’ पूजा करवा सकते हैं।
🔷 क्या पंचक में कोई कार्य किया जा सकता है?
हाँ, पंचक के समय पूजा-पाठ, जप-तप, दान, सेवा, सत्संग आदि सभी कार्य किए जा सकते हैं। केवल निर्माण, यात्रा, और अंतिम संस्कार जैसे कार्यों में सावधानी रखनी चाहिए।
🔷 पंचक के पीछे की धार्मिक मान्यता
धार्मिक दृष्टिकोण से पंचक एक ऐसा काल है, जिसमें नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है। इसे मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अस्थिर समय माना गया है। इसलिए शास्त्रों ने इसके दौरान सतर्क रहने की सलाह दी है।
✅ निष्कर्ष
पंचक एक खगोलीय और ज्योतिषीय समय होता है, जिसमें चंद्रमा की स्थिति विशेष रूप से विचारणीय होती है। यह समय कोई डरने का नहीं, बल्कि सावधानी बरतने का होता है। यदि आप पंचक की अवधि को जानकर, उससे संबंधित कार्यों को स्थगित करते हैं या उचित उपाय करते हैं, तो नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।
जून 2025 में पंचक 16जून से 20जून तक रहेगा। इस अवधि में किसी भी जरूरी कार्य को टालना संभव न हो, तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।