गुरु प्रदोष व्रत 2024,सावन माह का पहला प्रदोष व्रत कब है शुभ मुहूर्त तिथि एवं पूजा विधि
सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को बेहद ही प्रिय होता है, इस महीने में सावन सोमवार, प्रदोष व्रत, हरियाली तीज, गुरु प्रदोष व्रत, और सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है!
साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है, इस व्रत को करने से जीवन में व्याप्त परेशानी, धन संपदा, सुख शांति, कष्ट गृह क्लेश समेत समस्त प्रकार के संकट एवं दुखो को दूर करने के लिए महादेव का व्रत किया जाता है !
€ प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है!
€यह पर्व हर पक्ष में त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है! € इस व्रत को करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं!

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है,इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत पर उपवास भी रखा जाता है! धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है!सावन के महीने में कई प्रमुख त्योहार भी मनाया जाते हैं! इनमें से एक प्रदोष व्रत भी है!
या पाव हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है! इस व्रत का पूर्ण फल दिन अनुसार प्राप्त होता है,तो आईए जानते हैं सावन माह के पहले प्रदोष व्रत के बारे में!

गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचांग अनुसार सावन माह का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार 1 अगस्त को रखा जाएगा, सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 अगस्त को दोपहर 3:28 पर शुरू होगी! और उसके अगले दिन आने दो अगस्त को दोपहर 3:26 मिनट पर समाप्त होगी!
प्रदोष व्रत पर संध्या काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है, अतः गुरुवार 1 अगस्त को सावन माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा!
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व प्रदोष व्रत का फल दिन के अनुसार प्राप्त होता है, गुरुवार के दिन पढ़ने वाले सावन में गुरु प्रदोष को गुरु प्रदोष व्रत रहते हैं!.
गुरु प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, शादी वैवाहिक जीवन में सभी प्रकार के दुख और संकटों से छुटकारा मिलता है!
इस व्रत को विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख सौभाग्य की वृद्धि के लिए भी करते हैं! और जिनका विवाह नहीं हो पा रहा हो वह भी इस व्रत को कर सकते हैं,जिससे उनके विवाह में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं !
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि: सावन माह में गुरु प्रदोष व्रत पर सूर्योदय से पूर्व उठे इस समय भगवान शिव एवं माता पार्वती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करना चाहिए!इसके बाद घर की साफ सफाई करें,नित्य कर्मों से निर्मित होकर गंगाजल डालकर के पानी में स्नान करें , साधक दिनभर उपवास रखें, प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना करें , स्नान करने के बाद श्वेत वस्त्र धारण करें, सूर्य देव को जल अर्पण करें !उसके बाद विधि विधान सेशिवपूजन और अभिषेक कर भगवान शिव की पूजा करें! इस समय शिव चालीसा एवं शिव मंत्र का जाप करें! अंत में आरती करे !सुख समृद्धि की कामना करें!
दिनभर व्रत रखें संध्या काल में आरती के बाद फलाहार कर सकते हैं! अगले दिनसुबह के बाद विधि विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना करें इसके बाद पारण कर ले !
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