2 Desember Bhoum pradosh — ऋण मुक्ति, मंगल दोष निवारण का सबसे प्रभावशाली दिन! प्रदोष काल के चमत्कार जानें“श्री शिवाय नमस्तुभ्यम”…
क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन में चल रहा संघर्ष, अचानक आने वाली परेशानियाँ, बढ़ते हुए कर्ज, घर में रुकावटें और मन में बेचैनी… यह सब कब खत्म होगा?
क्या कोई ऐसा दिन… कोई ऐसी घड़ी… कोई ऐसा उपाय है जो शिवजी स्वयं सुनते हैं?
हाँ! वह पवित्र क्षण आ चुका है।
मार्गशीर्ष मास का पहला भौम प्रदोष—2 दिसंबर मंगलवार।
2 Desember Bhoum pradosh
मित्रों, शास्त्रों में कहा गया है कि—
“त्रयोदशी का प्रदोष शिव का हृदय है।”
और जब यह प्रदोष मंगलवार को पड़े, तब इसका प्रभाव सौ गुना बढ़ जाता है।
इस दिन किया गया पूजा-पाठ केवल फल नहीं देता, बल्कि असंभव को संभव बना देता है।
कर्ज का बोझ जो सालों से हट नहीं रहा…
मांगलिक दोष के कारण रुके हुए विवाह…
जीवन में अकारण कष्ट और बाधाएँ…
शिवजी स्वयं इस दिन अपने भक्तों के दुःख हर लेते हैं।
इस बार त्रयोदशी तिथि दो दिन है,
लेकिन याद रखिए—
व्रत वही रखा जाता है, जिस दिन त्रयोदशी प्रदोष काल को स्पर्श करे।
और इस बार वह शुभ योग केवल 2 दिसंबर मंगलवार को ही बन रहा है।
शाम 4:51 से 6:21 तक—
यही वह प्रदोष काल है,
जब कैलाश के द्वार खुलते हैं और भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देने उतरते हैं।
अगर आज के दिन आप सिर्फ “ॐ नमः शिवाय” का जप भी कर लें,
मिट्टी का छोटा-सा शिवलिंग बनाकर जल अर्पित कर दें,
या मंगल देव के 21—108 नामों का जाप कर दें…
तो विश्वास मानिए, ऋण से मुक्ति, संकट से छुटकारा,
और जीवन में नई ऊर्जा अपने आप आना शुरू हो जाती है।
इसलिए—
ध्यान से सुनिए…
भक्ति से सुनिए…
और मन में उतार लीजिए…
मार्गशीर्ष मास के भौम प्रदोष की पूरी पौराणिक कथा और संपूर्ण पूजन-विधि…
2 Desember Bhoum pradosh
🌙 भौम प्रदोष व्रत – पूरी विस्तृत कहानी व संपूर्ण विवरण
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदशी तिथि, जो इस बार 2 दिसंबर मंगलवार को प्रदोष काल में पड़ रही है, अत्यंत शुभ और पुण्यदायक मानी गई है। जब प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है, यह भौम प्रदोष कहलाता है, जो विशेष रूप से
ऋण मुक्ति,
मांगलिक दोष निवारण,
संकट से छुटकारा,
और हिम्मत-शक्ति बढ़ाने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है।
🔸 तिथि व मुहूर्त — 2 दिसंबर मंगलवारत्रयोदशी प्रारंभ: दोपहर 3:58 बजे (2 दिसंबर)
त्रयोदशी समाप्त: दोपहर 12:25 बजे (3 दिसंबर)
इसलिए व्रत 2 दिसंबर को ही रखा जाएगा।
🔸 महत्वपूर्ण समय
ब्रह्ममुहूर्त: 5:20 – 6:08
सूर्योदय: 6:56
सूर्यास्त: 5:36
प्रातःपूजा समय: 5:36 – 6:57
अभिजीत मुहूर्त: 11:54 – 12:37
राहु काल: 3:00 – 4:30
प्रदोष काल: 4:51 – 6:21 (मुख्य पूजा)
इस दिन शिव वास योग बन रहा है, जो दोपहर 3:57 तक कैलाश पर रहता है—यह दिन को अत्यंत दिव्य बना देता है।
🕉 भौम प्रदोष की पवित्र कथा
एक समय की बात है—एक निर्धन ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ अत्यंत दुःखी जीवन जी रहा था। न धन, न भोजन, और न ही कोई सहारा। पति-पत्नी का जीवन कष्टों से भरा हुआ था। एक दिन संयोग से मंगलवार का प्रदोष आया। ब्राह्मण दंपत्ति ने सोचा—
“हमारे जीवन में अब तक कोई शुभ फल नहीं मिला, क्यों न आज का व्रत पूरी श्रद्धा से रखा जाए!”
दोनों ने दिनभर उपवास किया,
प्रदोष काल में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर जल, बेलपत्र, धूप, दीप अर्पित किए।
दोनों ने “ॐ नमः शिवाय” का जप किया।
उनकी भक्ति देख भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और कैलाश से प्रकट होकर बोले—
“वत्स! आज भौम प्रदोष का व्रत किया है। यह व्रत ऋण-मुक्ति एवं कष्टों से छुटकारा देता है।
आज से तुम्हारे जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आएगी।”
उसी क्षण दंपत्ति का जीवन बदल गया। गरीबी समाप्त हुई, घर में सुख-शांति आई, और उनके सभी कष्ट मिट गए।
तभी से कहा जाता है—
“भौम प्रदोष व्रत असंभव को भी संभव बना देता है।”
🔱 पूजन-विधि (बहुत सरल)
🌸 सुबह की पूजा
स्नान करके सफेद वस्त्र पहनें।
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घृत से पंचामृत अभिषेक करें।
बिल्वपत्र अर्पित करें।
लाल चंदन व कुमकुम से तिलक करें।
🌑 दिनभर
उपवास रखें।
नमक का सेवन न करें (व्रत का मुख्य नियम)।
🌆 प्रदोष काल (4:51 – 6:21)
दीप जलाएँ।
11, 21 या 108 बार “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
मंगल देव के 21 या 108 नामों का पाठ करें।
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाकर जल अर्पण करना अत्यंत शुभ माना गया है।
🎁 दान के लिए
गुड़
लाल वस्त्र
मसूर दाल
तांबे का दान
- बहुत पुण्य देता है।
🙏 हनुमान जी की पूजा भी अनिवार्य
क्योंकि मंगल देव के स्वामी हनुमान हैं—
उनकी कृपा से सारे संकट हट जाते हैं।
